रानी लक्ष्मीबाई जीवन परिचय और मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झाँसी’ फिल्म रिव्यु ( Rani Laxmi bai biography and Manikarnika : The Queen of Jhansi movie review in hindi)
हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक राजाओं ने लड़ाइयाँ लड़ी और इस कोशिश में हमारे देश की वीर तथा साहसी स्त्रियों ने भी उनका साथ दिया. इन वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मीबाई, आदि का नाम शामिल हैं. रानी लक्ष्मीबाई ने हमारे देश और अपने राज्य झाँसी की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ लड़ने का साहस किया और अंत में वीरगति को प्राप्त हुई.
रानी लक्ष्मीबाई जीवन परिचय
नाम
मणिकर्णिका ताम्बे [ विवाह के पश्चात् लक्ष्मीबाई नेवलेकर ]
महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण परिवार में सन 1828 में काशी में हुआ, जिसे अब वाराणसी के नाम से जाना जाता हैं. उनके पिता मोरोपंत ताम्बे बिठुर में न्यायलय में पेशवा थे और इसी कारण वे इस कार्य से प्रभावित थी और उन्हें अन्य लड़कियों की अपेक्षा अधिक स्वतंत्रता भी प्राप्त थी. उनकी शिक्षा – दीक्षा में पढाई के साथ – साथ आत्म – रक्षा, घुड़सवारी, निशानेबाजी और घेराबंदी का प्रशिक्षण भी शामिल था. उन्होंने अपनी सेना भी तैयार की थी. उनकी माता भागीरथी बाई एक गृहणी थी. उनका नाम बचपन में मणिकर्णिका रखा गया और परिवार के सदस्य प्यार से उन्हें ‘मनु’ कहकर पुकारते थे. जब वे 4 वर्ष की थी, तभी उनकी माता का देहांत हो गया और उनके पालन – पोषण की सम्पूर्ण जवाबदारी उनके पिता पर आ गयी.
रानी लक्ष्मीबाई में अनेक विशेषताएँ थी, जैसे :
नियमित योगाभ्यास करना,
धार्मिक कार्यों में रूचि,
सैन्य कार्यों में रूचि एवं निपुणता,
उन्हें घोड़ो की अच्छी परख थी,
रानी अपनी का प्रजा का समुचित प्रकार से ध्यान रखती थी,
गुनाहगारो को उचित सजा देने की भी हिम्मत रखती थी.
लक्ष्मी बाई की शादी (Rani laxmi bai marriage) –
सन 1842 में उनका विवाह उत्तर भारत में स्थित झाँसी राज्य के महाराज गंगाधर राव नेवलेकर के साथ हो गया, तब वे झाँसी की रानी बनी. उस समय वे मात्र 14 वर्ष की थी. विवाह के पश्चात् ही उन्हें ‘लक्ष्मीबाई’ नाम मिला. उनका विवाह प्राचीन झाँसी में स्थित गणेश मंदिर में हुआ था. सन 1851 में उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम दामोदर राव रखा गया, परन्तु दुर्भाग्यवश वह मात्र 4 माह ही जीवित रह सका.