इस व्रत को करने वाले प्रातःकाल से नदी या घर पर अपामार्ग की दातुन से मुँह साफ़ करके शरीर पर मिटटी लगाकर स्नान करें,इसके पश्चात पूजा के स्थान को शुद्ध करें। अब रंगोली के रंगों से मंडल बनाकर उस पर मिटटी अथवा तांबे के बर्तन में जौ भरकर उस पर वस्त्र,पंचरत्न,फूल,गंध,और अक्षत आदि रखकर व्रत के आरम्भ में संकल्प लें।कलश के पास अष्टदल कमल बनाकर उसके दलों में कश्यप,अत्रि,भारद्वाज,विश्वामित्र,गौतम,जमदग्नि