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Coronavirus cases in World: विश्वभर में कोरोना के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. जिसमें कोरोना के डेल्टा वेरिएंट और ओमिक्रोन वेरिएंट दोनों के ही केस भारी संख्या में देखने को मिल रहे हैं. हालांकि इसके रिकवर होने के मामलों में भी पहले के मुकाबले काफी इजाफा देखने को मिल रहा है. भारत में रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रहा है.
कोरोना एक्सपर्ट्स का मानना है कि आपको इस संक्रमण से रिकवर होने के बाद भी कई प्रकार की सावधानियां बरतने की जरूरत है क्योंकि इसके कई लक्षण कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के भी 7-8 दिन बाद तक बने रहते हैं. इस दौरान आपको थकान, लगातार खांसी, सांस की तकलीफ, ब्रेन फॉग और एंग्जाइटी आदि की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
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लॉन्ग कोविड
जब कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमण से उभरने के बाद भी लक्षणों से ग्रसित रहता है तो उसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है. जिसके बारे में काफी समय से चर्चाएं चल रही हैं. करीब 2-3 महीने तक कोरोना संक्रमितों पर की गई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि जैविक कारकों (Biological Factors) और लॉन्ग कोविड के बीच एक संबंध होता है. हालांकि रिसर्च के निष्कर्ष से ऐसे मामलों को रोकने में मदद मिलेगी.
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इसके पीछे कुछ कारणों की पहचान हुई है. जिसमें बताया गया है कि संक्रमण की शुरुआत में आने वाला कोरोना वायरस आरएनए लेवल है, जो कि संक्रमित व्यक्ति के खून में वायरस की मात्रा बताता है. इसके अलावा कुछ एंटीबॉडी शरीर के ऊतकों पर हमला करती है. इसमें दिल, फेफड़े, हड्डियों के जोड़, त्वचा, दिमाग और किडनी, गठिया से संबंधित समस्या हो सकती है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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