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Covid Cases in World: दुनिया में कोरोना वायरस का खौफ बना हुआ है. कोरोना वायरस के कारण लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों में इसका साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं. अब दावा किया जा रहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 10 में से 9 लोगों की दृष्टि कुछ हद तक खो गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें से अधिकांश ने महामारी के बाद लगने वाले लॉकडाउन के दौरान नियमित तौर पर कराई जाने वाली अपनी आंखों की जांच और इसके फॉलो-अप को छोड़ दिया है.
मुंबई रेटिना सेंटर के सीईओ विटेरियोरेटिनल सर्जन डॉ. अजय दुदानी ने कहा, ‘दुर्भाग्य से, कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान खराब फॉलो-अप के कारण 90 प्रतिशत रोगियों ने कुछ हद तक देखने की क्षमता खो दी है. विशेष रूप से एएमडी (एज रिलेटेड मैकुलर डिजनरेशन) से पीड़ित मरीजों में यह दिक्कत देखने को मिली है. ये मरीज ज्यादातर अपना इंट्राविट्रियल इंजेक्शन लेने से चूक गए, जिसके कारण बीमारियां तेजी से बढ़ीं हैं.
रोगियों में गिरावट
नारायणा नेत्रालय आई इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु में सीनियर विटेरियो-रेटिनल कंसल्टेंट डॉ. चैत्र जयदेव ने कहा, कोविड के डर के कारण, हमने पिछले 3-4 महीनों में नियमित रूप से आंखों की जांच के लिए आने वाले रोगियों में गिरावट देखी है. इसके परिणामस्वरूप निदान और उपचार में देरी हुई है, जिससे लंबे समय में देखने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.
डॉक्टर्स ने कहा कि बीमारी को नियंत्रित करने और दृष्टि में किसी भी तरह के नुकसान को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और उपचार महत्वपूर्ण है. क्लिनिक का दौरा जितना अधिक समय तक बंद रहेगा, आंखों की सेहत उतनी ही खराब होती जाएगी. विटेरोरेटिनल सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. राजा नारायण ने बताया, हमें इस कोविड लहर के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए, मरीजों को मैकुलर डिजनरेशन या डायबिटिक मैकुलर एडिमा के विजिट में देरी नहीं करनी चाहिए, जब तक कि मरीज में कोविड के लक्षण न हों.
दुदानी ने कहा, तीसरी लहर के साथ हम अतीत के समान पैटर्न देख रहे हैं क्योंकि रोगी की अस्पताल में विजिट, विशेष रूप से बुजुर्गों के बीच, लगभग 50 प्रतिशत कम हो गई है. चूंकि रेटिना को बदला नहीं जा सकता है, इसलिए इंजेक्शन न लगना, या उपचार का पालन न करना, नेत्र रोग को बढ़ा सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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